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________________ ( २१ ) और सोलहवी के प्रारम्भ के एक महान प्रभावशाली धर्माचार्य और विशिष्ट साहित्यकार थे। आपके पट्ट पर श्री क्षान्तिरत्न गणि को गच्छनायक श्री जिनचन्द्र सूरि जी ने वीरमपुर मे स . १५३५ मिती आपाढ बदि १ के. दिन स्थापित कर श्रीगुणरत्नस रि नाम से प्रसिद्ध किया जिसका वर्णन गुणरत्नसूरि वीवाहला मे इस प्रकार पाया जाता है क्रमिकमि वीरमपुर बरे आविया,माविया मोरु जिम नाचताए ।।३०।। मकल श्री सघिस्यु जिनचन्द्रसूरि, वयसि एकान्ति विमासिंउ ए। आचारिज पदि क्षातिरत्न गणि, थापिसिउ एह प्रकाशिंउ ए ।३१। तयणु तेडाविज्यो सीस महूरत, सुवउ लगन गणाविउ ए पनर पइ त्रीसा साढ बदि नवमी मङ्गलवार जणावियउ ए ।।३।। वस्तु छन्द-तत्थ वीरम, तत्थ वीरमपुर मजारि । । सयल सघ आणदिउ उछरगि तिह करइ उच्छव सघाहिव केल्हा तणय धनराज मनराज वधव दीवाणे दीपक मलउ मणिमत्थ “माल 'मयक उच्छव काज उमाहियउ मरुमण्डलि अकलक |॥३३॥ गुण रत्न सूरि की एक रचना 'विचार अलावा', की नौ पत्रो की प्रति स० १६१६ की लिखी हुई, जैसलमेर के वडे उपाश्रय मे हमने देखी थी। आ कीतिरत्नसूरिजी के अन्य शिष्य कल्याणचन्द्र रचित कीर्तिराज सूरि विवाहलउ नामक ५४ पद्यो का एक ऐतिहासिक काव्य हमे प्राप्त हुमा है, उसे भी यहां प्रकाशित किया जा रहा है । सम्वत् -१५२५ मे कीतिरत्नसूरिजी का स्वर्गवास हुआ, उसके कुछ समय बाद ही यह काव्य रचा गया अत सूरि जी सम्बन्धी यह एक प्रामाणिक रचना है। कल्याण चन्द रचित कीतिरत्नमूरि चउपई हमारे ऐतिहासिक जैन काव्य सग्रह' मे प्रकाशित हो चुकी है। इनकी एक महत्वपूर्ण रचना 'मान-मनोहर' की सम्बत् १५१२ की लिखी हुयी प्रति पाटडी भण्डार में होने का उल्लेख 'जिन रत्न कोप' के पृष्ट ३०८ मे प्रकाशित है।
SR No.010429
Book TitleNeminath Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtiratnasuri, Satyavrat
PublisherAgarchand Nahta
Publication Year1975
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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