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छठा परिच्छेद वसुदेवने भगवंतकी वन्दना की और वहीं पर वह रात वितायी।
सुवह एक ब्राह्मणसे वसुदेव की सेट हो गयी। वे उसके साथ चम्पानगरीमें गये। वहाँपर बाजारमें वे जहाँ देखते वहीं उन्हें युवकगण वीणा बजाते हुए दिखाई देते थे। इसलिये उन्होंने ब्राह्मणसे इसका कारण पूछा। उसने बतलाया कि यहाँ चारुदत्त नामक एक सेठ है। उसके गन्धर्वसेना नामक एक कन्या है जो रूप और गुण में अपना सानी नहीं रखती। उसने प्रतिज्ञा की है कि जो सङ्गीत-कलामें और खासकर वीणा-वादनमें मुझे पराजित करेगा, उसीसे मैं व्याह करूँगी। इसीलिये यह सव युवक वीणा बजाने का अभ्यास कर रहे हैं। सुग्रीव
और यशोग्रीव नामक दो प्रसिद्ध संगीताचार्य नियमित रूपसे इन युवकोंको संगीत की शिक्षा देते हैं और प्रतिमास परीक्षा लेकर योग्यताकी जॉच भी करते हैं।"
ब्राह्मणके यह वचन सुनकर वसुदेव ब्राह्मणका वेश धारण कर सुग्रीवके पास गये। उन्होंने उससे कहा :"हे गुरुदेव ! मैं बहुत दूरसे आपका नाम सुनकर आपके