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नेमिनाथ-चरित्र उसने एक दिन पिछली रातमें स्वम देखा कि मानो उसके मुखमें पूर्णचन्द्र प्रवेश कर रहा है। सुवह राजाकी निन्द्रा भङ्ग होने पर उसने वह स्वप्न उन्हें कह सुनाया। उन्होंने उसी समय स्वप्न पाठकोंको बुलाकर इस स्वमका फल पूछा। स्वप्न पाठकोंने कहा:-"महाराज! यह स्वम बहुत ही उत्तम है। इसके प्रभावसे रानीको एक परम प्रतापी पुत्र होगा, जो शत्रुरूपी समस्त अन्धकार का नाश करेगा।" - यह स्वम फल सुनकर राजा और रानी अत्यन्त प्रसन्न हुए। कुछ दिनके बाद अपराजितका जीव देवलोकसे च्युत होकर उस रानीके उदरमें आया और गर्भकाल पूर्ण होने पर उसने यथासमय एक सुन्दर पुत्रको जन्म दिया। राजाने इस पुत्रका नाम शंख रक्खा। जव उसकी अवस्था कुछ बड़ी हुई, तब राजाने उसकी शिक्षादीक्षाका प्रबन्ध किया और उसने थोड़े ही दिनोंमें अनेक विधा तथा कलाओंमें पारदर्शिता प्राप्त कर ली। धीरे धीरे किशोरावस्था अतिक्रमण कर वह यौवनके कुसुमित वनमें विचरण करने लगा।