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नेमिनाथ चरित्र तरह तड़पकर उसी क्षण उस हाथीके दांतों पर चढ़ गया और एकही हाथमैं उसके कन्धे पर बैठे हुए महावत का काम तमाम कर डाला। इसके बाद वह उसी हाथी पर बैठकर बड़ी निपुणताके साथ शत्रु-सेनासे युद्ध करने लगा। __इसी समय कोसलराजके एक मन्त्रीकी दृष्टि उस पर जा पड़ी। उसे देखते ही उसने राजासे कहा :-"हे राजन् ! इस युवकको तो मैं पहचानता हूँ। यह राजा हरिनन्दी का पुत्र है !"
__ मन्त्रीके यह वचन सुनकर राजाको बड़ाही आश्चर्य हुआ। उन्होंने उसी समय संकेत कर अपनी सेनाको युद्ध करनेसे रोक दिया। इसके बाद सैनिकोंसे घिरे हुए राजकुमारके पास पहुँच कर उन्होंने कहा :-“हे कुमार ! तुम तो हमारे मित्र हरिनन्दीके पुत्र हो। तुम्हारा बल
और रण-कौशल देखकर मैं बहुत ही सन्तुष्ट हुआ हूँ। सिंह-शावकके सिवा गजराजका मस्तक और कौन विदीर्ण कर सकता है ? हे महानुभाव ! तुमसे युद्ध करना हमारे लिये शोभाप्रद नहीं है। तुम हमारे घर चलो और