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दूसरा परिच्छेद
कहा था कि जो आपके हाथसे आपका खड्ग छीन लेगा, उसीसे आपकी कन्याका विवाह होगा। इस वातके स्मरणसे उसका दुःख हलका हो गया और वह एकवार चित्रगतिसे मिलनेके लिये उत्कंठित हो उठा। परन्तु अब उसका पता पाना सहज न था। राजा इससे निराश हो गया। परन्तु इतने ही में उसे उस ज्योतिपीकी दूसरी बात स्मरण आ गयी। उसने यह भी कहा था, कि "सिद्धायतनको चन्दन करते समय उसपर पुष्पवृष्टि होगी।" यही एक ऐसी बात थी, जिससे उसका पता लग सकता था। वह इसी बात पर विचार करता हुआ
अपने राज-महलको लौट आया। ___उधर चित्रगतिने सुमित्रकी बहिनको ले जाकर सुमित्रको सौंप दिया। इससे उसे बहुत ही आनन्द हुआ। उसने चित्रगतिकी प्रशंसा कर उसे धन्यवाद दिया। इसके बाद चित्रगति उससे विदा ग्रहण कर अपने नगरको लौट गया।
सुमित्रके हृदयमें वैराग्यके वीजने तो पहले ही जड़ जमा ली थी। इधर उसकी वहिनका हरण होने पर