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नेमिनाथ चरित्र कारण सब लोग किंकर्त्तव्य विमूढ़ बन गये। उन्हें अपने पास खड़े हुए मनुष्य भी आंखोंसे दिखायी न देते थे। चित्रगतिने जान बूझकर यह माया-जाल फैलाया था। अन्धकार होते ही वह लपक कर राजा अनंगसिंहके पास पहुंचा और उसके हाथसे वह देवी खडग छीन लाया। इसके बाद वह उस स्थानमें गया जहाँ सुमित्रकी बहिन रक्खी गयी थी। वह उसे एक घोड़ेपर बैठाकर अपने साथ ले आया। और उसी क्षण अपनी सेनाके साथ वहाँसे नौ दो ग्यारह हो गया।
उसके चले जाने पर, उसकी इच्छासे, वह अन्धकार दूर हो गया। अन्धकार दूर होने पर राजाने देखा कि उसका वह दैवी खड्ग गायब है। न कहीं उसके शत्रुका पता है, न कहीं उसकी सेनाका। इसी समय उसे समाचार मिला कि सुमित्रकी वह वहिन भी गायब है, जिसे कमल हरण कर लाया था। अपनी इस, पराजयसे,वह बहुत लजित हुआ। वह दैवी खड्ग हाथसे निकल जानेके कारण भी उसे कम दुःख न था, परन्तु इतने ही में उसे उस ज्योतिषीकी बात याद आगयी। उसने