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नेमिनाथ-परिव शख ग्रहण कर, अर्जुनसे लड़ना चालू रखा। अन्समें जब उसके समस्त शस्त्रास्त्र समाप्त हो गये, तब वह तलवार लेकर रथसे कूद पड़ा और आसपासके सैनिकोंको मारता हुआ अर्जुनकी ओर आगे बढ़ा। अर्जुनने इस समय बाणोंकी घोर वर्षा की, जिससे वीरकुञ्जर कर्ण घबड़ा उठा। उसका समूचा शरीर पहलेहीसे चलनी हो रहा था। इस बार अर्जुनके कई बाण छातीमें लगते ही वह भूमि पर गिर पड़ा और उसके प्राण निकल गये। ... कर्णके गिरते ही भीम और अर्जुनने जय-सूचक शंखनाद किया, जिससे उनकी सेनाका उत्साह चौगुना बढ़ गया ।, जयद्रथ और कर्णके मारे जानेसे दुर्योधनको बढ़ा क्रोध आया और उसने हस्तियोंकी बड़ी सेना लेकर भीमसेन पर आक्रमण कर दिया। उसका यह साहस देखकर भीमको भी बड़ा जोश आगया और उन्होंने रथके ऊपर रथ अश्वके ऊपर अश्व और हाथीके ऊपर हाथीको पटककर दुर्योधनकी सेना नष्ट-भ्रष्ट कर दी। परन्तु इतनेहीसे भीमकी युद्ध कामना पूर्ण न हुई । वे इसी