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सोलहवाँ परिच्छेद
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पर आश्रय ग्रहण किया। परन्तु दुर्मर्षण आदि छ: ओं राजाओंको द्रौपदीके पुत्रोंन पराजित कर दिया, इसलिये उन सर्वोने भागकर दुर्योधनका आश्रय लिया ।
इसके बाद दुर्योधन कासि प्रभृति राजाओंको साथ लेकर अर्जुनसे युद्ध करने लगा । किन्तु बलरामके पुत्रोंसे घिरे हुए अर्जुनने भयंकर बाण वर्षा कर शत्रुसेनाके छक्के छुड़ा दिये । जयद्रथ इस युद्धमें दुर्योधनका दाहिना हाथ हो रहा था, इसलिये अर्जुनने मौका मिलते ही उसको भी समाप्त कर दिया। इससे जरासन्धकी सेनामें घोर हाहाकार मच गया, क्योंकि उसकी गणना बड़े-बड़ेवीरो की जाती थी ।
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जयद्रथके वधसे क्रुद्ध हो, वीर कर्ण अर्जुनको मारनेके लिये दौड़ आया | कर्ण अर्जुनके मुकाबलेका वीर माना जाता था और वह वास्तवमें ऐसा ही था । उन दोनोंमें बहुत देर तक ऐसा वाणयुद्ध होता रहा, कि आकाशमें देवता भी उसे देखकर स्तम्भित हो गये । अर्जुनने अनेक बार कर्मको रथ और किन्तु इससे विचलित न हो, कर्णने
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शस्त्र रहित बनाया, नये नये रथ और