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नेमिनाथ चरित्र
परम कपटी हो और इस समय एकसाथ ही मेरे हाथ लग गये हो । अब तुम दोनोंकी जीवनलीला मैं एकसाथ ही समाप्त करूँगा, जिससे तुम दोनोंको एक दूसरेका वियोग न सहन करना पड़े ।
इतना कह सहदेवने तीक्ष्ण बाणोंसे दुर्योधनको ढक दिया । दुर्योधनने भी बाणवर्षा कर सहदेवको बहुत तंत्र किया | उसने न केवल उनका धनुष दण्ड ही काट डाला, बल्कि उनका नाश करनेके लिये यमके मुख समान एक ऐसा वाण छोड़ा, जो शायद उनका प्राण लेकर ही मानता, परन्तु अर्जुनने उस बाणको अपने गरुड़ वाणसे बीचमें ही रोक दिया । शकुनिने भी सहदेवको उसी तरह बाणों द्वारा चारों ओरसे घेर लिया, जिस तरह ha चारों ओर से पर्वतको घेर लेते हैं। इससे सहदेवने क्रुद्ध होकर उसके सारथी और अवको मार डाला, रथको तोड़ डाला और अन्त में शकुनिका भी मस्तक
काट डाला ।
उधर नकुलने भी क्षणमात्रमें उलूकको रथसे नीचे गिरा दिया। इससे उसने भागकर दुर्मर्षण राजाके रथ