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नेमिनाथ चरित्र
ले लिया.। अब वे केवली भगवानके साथ विचरण करते हुए जप-तप और साधनामें अपना समय विताने लगे। सुमित्रने अपने सौतेले भाई पद्मको कई गॉव देकर उससे मेल रखनेकी चेष्टा की, परन्तु इसका कोई फल न हुआ। वह असन्तुष्ट होकर कहीं चला गया। चित्रगति अब तक सुमित्रके पास ही था। वह उसे किसी प्रकार भी जाने न देता था। अन्तमें बहुत कुछ कहने, सुननेपर सुमित्रने, उसे विदा किया। उसे बहुत दिनोंके बाद वापस आया देखकर उसके मातापिताको असीम आनन्द हुआ । चित्रगति देवपूजादिक पुण्यकार्य करते हुए अपने दिन विताने लगा। उसकी इस जीवन-चर्यासे उसके माता पिता और गुरुजन उससे बहुत प्रसन्न रहने लगे। ___ हमारे पाठक राजा अनंगसिंह और उसकी पुत्री रनवतीको शायद अभी न भूले होंगे। उनका परिचय इसी परिच्छेदके आरम्भमें अंकित किया जा चुका है। रत्नवतीके कमल नामक एक भाई भी था। वह कुबुद्धिके कारण एक दिन सुमित्रकी बहिनको हरण कर ले गया । इस घटनासे सुमित्र बहुत उदास हो गया, की