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सोलहवा परिच्छेद उदधि, गौतमः, चसुधर्मा, प्रसेनजिन्, सूर्य, चन्द्रवर्मा चारुकृष्ण, सुचारु, देवदत्त, भरत, शंख प्रद्युम्न और शाम्ब आदिक मुख्य थे।
राजा उग्रसेन भी. बड़े, उत्साहके साथ इस युद्ध में भाग लेनेको उपस्थित हुए और अपने साथ अपने घर, गुणधर, शक्तिक, दुर्धर, चन्द्र और सागर-इन छ. पुत्रोंको भी लेते आये। इनके अतिरिक्त ज्येष्ठ राजाने काका शाम्बन और उनके महासेन, विषमित्र, अजमित्र, तथा दानमित्र नामक चार पुत्र, महासेनाका पुत्र सुषेण; विषमित्रके हदिक, सिनि और सत्यक, हदिकके कृतवर्मा
और दृढ़वर्मा सत्यकके युयुधान और युयुधानका गन्ध नामक पुत्र भी उपस्थित हुआ। इसी तरह दशाहोंके अन्यान्य पुत्र, वलराम और कृष्णके अगणित पुत्र, बुवा
और वहिनोंके पुत्र तथा और न जाने कितने वीर पुरुष वहाँ आ आकर एकत्र हो गये।
इसके बाद क्रोष्टुकी ज्योतिषीके बतलाये हुए शुभ मुहमें दारुक सारथीवाले गरुड़ध्वज स्थपर सवार हो, कृष्ण अपनी नगरीसे ईशान कोणकी ओर चलने लगता