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सोलहवाँ परिच्छेद
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(१) कर्कोटक (२) धनञ्जय (३) विश्वरूप (४) श्वेतमुख (५) वासुकी ।
आठवें दशाई पूरण और उनके चार पुत्र, यथा(१) दुष्पूर (२) दुर्मुख (३) दुर्दर्श और (४) दुर्धर । नर्वे दशार्ह अभिचन्द्र और उनके छः पुत्र, यथा(१) चन्द्र (२) शशाङ्क (३) चन्द्राभ (४) शशि (५) सोम और (६) अमृतप्रभ ।
दसवें दशार्ह साक्षात् देवेन्द्र के समान परम बलवान वसुदेव भी इसी तरह अपने अनेक पुत्रोंके साथ शत्रुसेनासे लोहा लेने के लिये उपस्थित हुए । उनके पुत्रोंके नाम इस प्रकार थे :
विजयसेनाके अक्रूर और क्रूर । श्यामाके ज्वलन और अशनिवेग । गन्धर्वसेनाके वायुवेग, अमितगति और महेन्द्रगति । मन्त्रीसुता पद्मावती के सिद्धार्थ, दारुक और सुदारु | नीलयशाके सिंह और मतंगज । सोमयशाके नारद और मरुदेव । मित्रश्रीका सुमित्र । कपिलाका कपिल | पद्मावती पद्म और कुमुद । अश्वसेनाका अधसेन । पुंड्राका पुंड्र | रत्नवतीके रत्नगर्भ और वज्रबाहु |