________________
नेमिनाथ चरित्र
आशासे वे राजगृह नगर गये । वहाँके प्रसिद्ध व्यापारी उन्हें राजेन्द्र जरासन्धकी पुत्री जीवयशाके पास लिवा ले गये । उन्होंने उसे वह कम्बल दिखाये जो छनेसे बहुत ही कोमल प्रतीत होते थे । जीवयशाने उनको देस
सुनकर, उनकी जो कीमत लगायी वह उनकी लागतसे भी आधी थी । यह देख कर वणिक लोग कहने लगे कि :- " हे देवि ! हमलोग तो विशेष लाभ की इच्छासे द्वारिका छोड़कर यहाँ आये थे, किन्तु यहाँ तो हमें वह मूल्य भी नहीं मिल रहा है जो द्वारिकामें मिलता था ।"
जीवयशाने आश्चर्यपूर्वक पूछा :- " द्वारिकानगरी कहाँ है और वहॉपर कौन राज्य करता है ।"
वणिकोंने कहा :- " भारत के पश्चिम तटपर समुद्रके देवताओंने एक नयी नगरी निर्माणकी है । उसीको लोग द्वारिका कहते हैं । वहाँ देवकी और वसुदेवके पुत्र कृष्ण राज्य करते हैं ।"
६४४
Han
कृष्णका नाम सुनते ही जीवयशा मानो महान शोकसागरमें जा पड़ी। उसकी आखोंमें अर भर आये।