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सोलहवाँ परिच्छेद अनुनय कर अपना अपराध क्षमा कराया। साथ ही उसने उन दुर्गुणोंको भी सदाके लिये जलाञ्जलि दे दी, जिनके कारण जब तब उसकी निन्दा हुआ करती थी। इतना करने पर उसका चरित्र भी निर्मल बन गया और एक देवताकी भाँति सांसारिक सुख उपभोग करते हुए वह अपने दिन आनन्द पूर्वक व्यतीत करने लगा।
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सोलहवाँ परिच्छेद
जरासन्ध और शिशुपाल वध
कुछ दिनोंके बाद यवन द्वीपसे जलमार्ग द्वारा बहुतसा बहुमूल्य किराना लेकर कुछ वणिकलोग द्वारिका नगरी आये। वहॉपर उन्होंने और सब चीजें तो बेच डाली, परन्तु बहुमूल्य रत्न कम्बलोंका कोई अच्छा ग्राहक उन्हें वहाँ न मिल सका। इसलिये विशेष लाभकी