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नेमिनाथ-परित्र पुत्रोंके साथ शाम्बकुमारकी विशेष मित्रता थीं। इसलिये वह उन्हींके साथ खेलता कूदता हुआ बड़ा होने लगा। जब उसकी अवस्था पढ़ने लिखने योग्य हुई, तब उसने बहुत ही अल्प समयमें अनेक विद्या और कलाओंमें पारदर्शिता प्राप्त कर ली। ____ कुछ दिनोंके बाद रुक्मिणीको अपने भाई राजा रुक्मिकी याद आयी। उसके वैदर्भी नामक एक रूपवती पुत्री थी। रुक्मिणीने सोचा कि उसका ब्याह प्रद्युम्नके
भोजकटपुरमें राजा रुक्मिको कहलाया कि :--"आप अपनी पुत्री वैदर्भीका विवाह प्रद्युम्नकुमारके साथ कर दें, तो अत्युत्तम हो। इसके पहले मेरा और कृष्णका योग हो चुका है, वह दैव योगसे ही हुआ है। अब उसके सम्बन्धमें किसी तरहकी विशंका न करें। आप अपने हाथसे चैदी और प्रद्युम्नकुमारका भी योग मिला दें। इससे हमलोगोंका पुराना प्रेमसम्बन्ध फिरसे नया हो जायगा।"
रुक्मिणीका यह सन्देश सुनकर रुक्मिको अपनी