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पन्द्रहवाँ परिच्छेद कृष्णने कहा :-"यह तो सब ठीक है, परन्तु यह हार तुमने कहाँसे पाया है ?"
जाम्बवतीने हँसकर कहा :-"आपहीने तो मुझे दिया था ! क्या आप अपने हाथोंका किया हुआ काम भी भूल जाते हैं ?"
यह सुनकर कृष्ण हँस पड़े। इसपर जाम्बवतीने उन्हें अपना सिंह विषयक स्वप्न कह सुनाया। सुनकर कृष्णने कहा :-"यह स्वम बहुत ही उत्तम है। हे देवि ! प्रधु नके समान तुम्हें भी एक पुत्र-रत्न होगा।" इतना कह कृष्ण उस समय वहाँसे चले गये।
तदनन्तर जाम्बवतीने गर्भकाल पूर्ण होनेपर शुभ मुहूर्तमें सिंहके समान अतल बलशाली शाम्ब नामक पुत्रको जन्म दिया। इसी समय सारथीके जयसेन और दारुक तथा मन्त्रीके सुबुद्धि नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। सत्यभामा भी भीतावस्थामें गर्भवती हुई थी, इसलिये उसने भीरु नामक एक पुत्रको जन्म दिया। कृष्णकी अन्यान्य पत्नियोंने भी इसी समय एक एक पुत्रको जन्म दिया। परन्तु इन सवोंकी अपेक्षा सारथी और मन्त्रीके