________________
पन्द्रहवाँ परिच्छेद सत्यभामाने सजल नेत्रोंसे कहा :-"नहीं, किसीने मेरा अपमान नहीं किया है, परन्तु एक आन्तरिक पीड़ाके कारण मेरा हृदय विदीर्ण हुआ जा रहा है। मैं आपसे सत्य कहती हूँ, कि यदि मेरे प्रद्युम्नके समान पुत्र नहीं होगा, तो मैं अवश्य प्राणत्याग दूंगी।" ____ उसका यह आग्रह देखकर कृष्णने उसे सान्त्वना दी। इसके बाद उन्होंने हरिणीगमेषीदेवको उद्देश कर अहम तप करते हुए पौषध व्रत ग्रहण किया। इससे हरिणीगमेषीने प्रकट होकर पूछा-'"हे राजन् कहिये, आपका क्या काम है ? आपने मुझे क्यों याद किया है ?" ___ कृष्णने कहा :- भगवन् ! सत्यभामाको प्रद्युम्नके समान एक पुत्र चाहिये। आप उसकी यह इच्छा पूर्ण कीजिये।" ___ हरिणीगमेपीने कृष्णके हाथमें एक पुष्पहार देकर कहा :-'राजन् ! यह हार पहनाकर आप जिस रमणीसे रमण करेंगे, उसीके मनवाञ्छित पुत्र होगा।
इतना कह वह देव तो अन्तर्धान हो गया। इधर