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नेमिनाथ-चरित्र कन्याका पता लगाया है, इसलिये यदि तुम कहो तो इससे तुम्हारा व्याह कर दिया जाय। परन्तु प्रद्युम्नने कहा कि :-"यह मेरे भाईकी पत्नी है, इसलिये मैं इससे व्याह कदापि नहीं कर सकता। निदान, उसका व्याह भानुकके साथ कर दिया गया। प्रद्य नकी इच्छा न होने पर भी कृष्णने उसी समय कई विद्याधर राजकुमारियोंके साथ प्रधु नका भी ब्याह कर दिया। नारदमुनिने प्रधु नका पता लगाने और उसे कालसंवरके यहाँसे लिवा लानेमें बड़ा परिश्रम किया था, इसलिये कृष्ण और रुक्मिणी उनके परम आभारी थे। विवाहोत्सव पूर्ण होने पर उन्होंने यथाविधि उनका पूजन कर सम्मान पूर्वक उन्हें विदा किया। .
उधर प्रधु नकी सम्पत्ति और प्रशंसासे सत्यभामाको बड़ाही सन्ताप हुआ और वह कोप गृहमें जाकर एक कोनेमें लेट रही। कृष्ण जब उसके भवनमें गये, तब उनको यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने पूछा :"हे सुभगे ? तुम इस प्रकार दुःखी क्यों हो रही हो ? क्या किसीने तुम्हारा अपमान किया है।