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पन्द्रहवा परिच्छेद आकर कृष्णसे कहा: "हे स्वामिन् ! मेरी पुत्री जो शीघ्रही आपकी पुत्रवधू होनेवाली थी-जिसका न्याह भानुककुमारके साथ होने वाला था, उसे कोई हरण कर ले गया है। आप शीघही उसका पता लगवाइये, वर्ना भानुकको व्याह ही रुक जायगा।" ____ कृष्णने कहा :-"मैं सर्वज्ञ नहीं हूँ, जो बतला दूँ कि इस समय वह कहाँ है ? यदि मैं सर्वज्ञ होता, तो जिस समय प्रधम्नको कोई हरण कर ले गया था, उस समय मैं उसे क्यों न खोज निकालता!"
कृष्णकी भाँति अन्यान्य लोगोंने भी इस विषयमें अपनी असमर्थता प्रकट की । अन्तमें प्रद्युमने कहा :"मैं अपनी प्रज्ञप्ति विद्यासे उसका पता लगाकर उसे अभी लिये आता हूँ। मेरे लिये यह बायें हाथका खेल है।"
प्रयु नके यह वचन सुनकर दुर्योधन तथा कृष्णादिकको अत्यन्त आनन्द हुआ। प्रद्युम्न उसी समय उठ खड़ा हुआ औराथोड़ी ही देरमें उस कन्याको लाकर सबके सामने हाजिर कर दिया। यह देख कर कृष्ण परम प्रसन्न हुए। उन्होंने प्रध नसे कहा: तुमने इस -