________________
५९.
चौदहवों परिच्छेद "मैं तो इस समय भूखों मर रहा हूँ ! भूखके कारण मेरा चित्त ठिकाने नहीं है। पहले मुझे पेट भर खानेको दो, तब मैं दूसरा काम करूँगा।" __ यह सुनकर सत्यभामाने रसोईदारिनोंको उसे भोजन करानेकी आज्ञा दी। इसपर ब्राह्मण देवता भोजन करने चले, किन्तु चलते समय उन्होंने सत्यभामाके कानमें कहा :-"है अनधे ! जब तक मैं भोजन करके न लौंटू, तब तक तुम कुलदेवीके सामने बैठ कर "रुड वुड रुड बुड्ड स्वाहा" इस मन्त्रका जप करो।" सत्यभामाने ब्राह्मणदेवताकी यह आज्ञा भी चुपचाप सुन ली और मन्त्र-जप करना भी आरम्भ किया।
उधर ब्राह्मणदेवता भोजन करने गये और अपनी विद्याके बलसे वहाँ भोजनकी जितनी सामग्री थी, वह सब चट कर गये। उनका यह हाल देखकर बेचारी रसोईदारिने घबड़ा गयौं। वे डरने लगी, कि सत्यभामा यह हाल सुनेगी, तो न जाने क्या कहेंगी? अन्तमें जब वहाँ जलके सिवा भोजनकी कोई भी सामग्री शेष न चची, तब लाचार होकर उन्हें मायाचिपसे कहना पड़ा,