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नेमिनाथ चरित्र ____ सत्यभामाने कहा :- "हे भद्र ! आपका कहना यथार्थ है । मैं अन्य स्त्रियोंको देखते हुए अवश्य रूपवती हूँ, परन्तु अब मैं ऐसा रूप चाहती हूँ, जो अलौकिक और अनुपम हो, जिसके सामने किसीका भी रूप ठहर न सके।" ___ मायाविप्रने कहा :-"यदि तुम्हारी ऐसी ही इच्छा है तो पहले अपने समूचे शरीरको कुरूप बना डालो। कुरूप होने पर विशेष रूपसे सुन्दर बनाया जा सकता है।"
सत्यभामाने कहा :-'हे भगवन् ! शरीरको कुरूप बनानेके लिये मुझे क्या करना चाहिये ।"
मायाविप्रने कहा :-"पहले तुम अपना शिर मुंडवा डालो, फिर समूचे शरीरमें कालिख लगाकर फटे पुराने कपड़े पहन लो। इससे तुम कुरूप दिखायी देने लगोगी। ऐसा रूप धारण कर जब तुम मेरे सामने आओगी, तब मैं तुरन्त तुम्हें रूप लावण्य और सौभाग्यकी आगार बना दूंगा।" ___ सत्यभामाने स्वार्थवश ऐसा ही किया। इसके बाद वह जब मायाविपके पास गयी, तब उसने कहा :