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नेमिनाथ-चरित्र ___ • मुनिराजके मुखसे यह वृत्तान्त सुनकर पूर्णभद्र और माणिभद्रको जातिस्मरण ज्ञान उत्पन्न हुआ और उन्होंने उस चाण्डाल तथा कुतियाको धर्मोपदेश दिया। उसे. सुनकर उस चाण्डालको वैराग्य उत्पन्न हो गया और वह एक मासके अनशन द्वारा शरीर त्यागकर नन्दीवर द्वीपमें एक देव हुआ। धर्मोपदेश सुननेके कारण उस कुतियाको भी ज्ञान उत्पन्न हुआ और वह भी अनशन. द्वारा शरीर त्यागकर उसी शंखपुरमें सुदर्शना नामक राजकुमारी हुई।
कुछ दिनोंके बाद फिर वहॉ महेन्द्र मुनिका आगमन. हुआ। पूर्णभद्र और माणिभद्रके पूछने पर उस समय भी मुनिराजने उनके गतिका सारा हाल उनको कह सुनाया। इसी समय राजकुमारी सुदर्शनाने मुनिराजका धर्मोपदेश सुन, उनके निकट दीक्षा ले ली, जिससे यथा समय उसे देवलोककी प्राप्ति हुई। उधर पूर्णभद्र
और माणिभद्र आजीवन श्रावक धर्मका पालन करते. रहे । अन्तमें मृत्यु होने पर वे दोनों सौधर्म देवलोकमें सामानिक देव हुए। वहाँसे च्युत होनेपर वे दोनों