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तेरहवा परिच्छेद इस्तिनापुरमें , विष्वकसेन राजांके मधु और कैटभ नामक पुत्र हुए। ... ., यथा समय नन्दीश्वर द्वीपका वह देव भी च्यवन होकर अनेक जन्मोंके बाद अन्तमें पटपुरका कनकप्रभ नामक राजा हुआ। उधर सुदर्शना स्वर्गसे च्युत होकर अनेक जन्मोंके बाद राजा कनकप्रभकी चन्द्रामा नामक पटरानी हुई।
उधर हस्तिनापुरमें राजा विष्वकसेनने मधुको अपना राज्य और कैटभको युवराज पद देकर स्वयं दीक्षा ले ली; जिसके फलस्वरूप वह ब्रह्मदेवलोकका अधिकारी हुआ। __ तदनन्तर मधु और कैटभ दोनों अपने राज्यका प्रबन्ध बड़ी उत्तमतासे करने लगे, परन्तु भीम नामक एक पल्लीपतिः उनकी अधीनता स्वीकार न करता था
और वह उन्हें हमेशा तंग किया करता था। इसलिये मधुने उसे दण्ड.देने के लिये एक बड़ी सेनाके साथ हस्तिना.. पुरसे प्रस्थान किया मार्गमें उसे वटपुर मिला। वहाँ राजा कनकप्रभने भोजनादिक द्वारा उसका बड़ा सत्कार किया, जिससे मधुको भी अत्यन्त आनन्द हुआ।