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________________ ५४६ नेमिनाथ चरित्र ___ एकदिन उस नगरमें महेन्द्र मुनिका आगमन हुआ। उनका धर्मोपदेश सुनकर अर्हत्दास श्रेष्ठीने उनके निकट दीक्षा ले ली। उसी समय पूर्णभद्र और माणिभद्र भी उनको वन्दन करनेके लिये घरसे निकले। रास्तेमें उन्हें एक चाण्डाल सिला, जो अपनी कुतियाको भी साथ लिये हुए था। उनको देखकर उन दोनोंके हृदयमें बड़ा ही प्रेम उत्पन्न हुआ, फलतः उन्होंने मुनिराजके पास आकर, उन्हें प्रणाम कर पूछा कि :- "हे भगवन् ! वह चाण्डाल और उसकी वह कुतिया कौन थी ? उन्हें देखकर हमारे हृदयमें इतना प्रेम क्यों उत्पन्न हुआ ?" ___ मुनिराजने कहा :-"अग्निभूति और वायुभूतिके जन्ममें सोमदेव तुम्हारा पिता और अग्निला तुम्हारी माता थी। तुम्हारे पिताकी मृत्यु होने पर वह इसी भरतक्षेत्रके शंखपुरका जितशत्रु नामक राजा हुआ, जो परस्त्रीमें अत्यन्त आसक्त रहता था। अग्मिलाकी मृत्यु होनेपर वह भी उसी नगरमें सोमभृति ब्राह्मणकी रुक्मिणी नामक स्त्री हुई। एक बार जितशत्रुकी दृष्टि रुक्मिणी पर जा पड़ी। उसे देखते ही वह उसपर आसक्त हो
SR No.010428
Book TitleNeminath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Jain
PublisherKashinath Jain Calcutta
Publication Year1956
Total Pages433
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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