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नेमिनाथ चरित्रं
दूतकी यह सलाह कृष्णको पसन्द आ गयी । वे उसी समय बलरामको साथ लेकर समुद्र तट पर गये और सेनापतिको मारकर लक्ष्मणाका हरण कर लाये । तदनन्तर द्वारिका आकर उन्होंने उसके साथ व्याह कर लिया और दास-दासी आदिका प्रबन्ध कर रत्नगृह नामक महलमें उसके रहनेकी व्यवस्था कर दी ।
इसके बाद राष्ट्रवर्धन नामक राजाकी पारी आयी ।' वह सुराष्ट्र देशके आयुस्खरी नामक नगर में राज्य करता था। उसकी रानीका नाम विजया था। उसके नमुचि नामक एक महा- बलवान पुत्र और सुसीमा नामक परम रूपवती एक कुमारी भी थी । नमुचिने दिव्य आयुध सिद्ध किये थे, उसे अपने बलका बड़ा अभिमान था, इसलिये वह कृष्णकी आज्ञा न मानता था । एकवार सुसीमाको साथ लेकर वह प्रभास तीर्थ में स्नान करने गया। इसी समय कृष्णने उस पर आक्रमण कर उसे मार डाला और सुसीमाका हरण कर लिया ।" तदनन्तर द्वारिका आने पर कृष्णने उससे विवाह कर उसे रत्नगृहके निकट एक सुन्दर महलमें रहनेको स्थान दिया । कृष्णने
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