________________
तेरहवाँ परिच्छेद
५२९ उसके लिये भी दास दासियोंका समुचित प्रबन्ध कर दिया। सुसीमाके विवाहके समय राष्ट्रवर्धन राजाने भी अनेक दास दासी और हाथी घोड़े आदि कृष्णके पास भेजकर उनसे मित्रता कर ली।
इसकेबाद वीतभय नामक नगरके स्वामी मेरु राजाकी गौरी नामक कन्यासे कृष्णने विवाह किया। पश्चात् कृष्णने सुना कि अरिष्टपुरमें राजा हिरण्यनामकी पद्मावती नामक पुत्रीका स्वयंवर होनेवाला है। इसलिये बलराम और कृष्ण दोनों जन उस स्वयंवरमें भाग लेनेको पहुंचे। राजा हिरण्यनाम रोहिणीके भाई थे और उस नाते कृष्ण तथा बलराम उनके भानजे लगते थे। इससे हिरण्यनाभने उन दोनों वीरोंका बहुत ही स्वागत किया। हिरण्यनामके बड़े भाई रैवतने अपने पिताके साथ नमिनाथ तीर्थमें दीक्षा ले ली थी ; किन्तु दीक्षा लेनेके पहले ही उन्होंने रेवती, रामा, सीता और बन्धुमती नामक अपनी चार पुत्रियोंका विवाह बलरामके साथ कर दिया था। इससे कृष्णने समस्त राजाओंके सामने ही पद्मावतीका हरण कर लिया। कृष्णके इस कार्यसे स्यंवरमें