________________
नेमिनाथ चरित्र किया। मार्गमें उसे गोकुल गॉव मिला। वह राम
और कृष्णसे मिलनेके लिये वहाँ एक रात ठहर गया। उनसे बहुत दिनोंके बाद मुलाकात होनेके कारण वह अत्यन्त आनन्दित हुआ।
दूसरे दिन सुबह अनाधृष्टि वहाँसे मथुरा जानेको निकला। राम और कृष्ण प्रेमपूर्वक उसे नगरके बाहर पहुँचाने आये। अनाधृष्टिको,मथुराका रास्ता मालूम न था, इसलिये उसने रामको तो विदा कर दिया, किन्तु कृष्णको रास्ता दिखानेके लिये अपने साथ ले लिया। __ मथुराका मार्ग बहुत ही संकीर्ण था और उसमें जहाँ तहाँ बड़े बड़े वृक्ष खड़े थे। गोकुलसे कुछ ही दूर आगे बढ़ने पर अनाधृष्टिका स्थ एक विशाल वट वृक्षों फंस गया । अनावृष्टिने उसे बाहर निकालनेकी बड़ी चेष्टा की, बहुत हाथ पैर मारे, किन्तु किसी तरह भी वह स्थ वाहर न निकल सका। यह देखकर कृष्ण रथ परसे नीचे कूद पड़े और उन्होंने क्षणमात्रमें उस वृक्षको उखाड़ कर स्थका रास्ता साफ कर दिया । कृष्णका यह बल देखकर अनाष्टिको बड़ाही आनन्द हुआ और उसने प्रेमपूर्वक