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वारहवा परिच्छेद लिये उसी समय अरिष्ट आदिको वृन्दावनमें छोड़ दिया। अरिष्ट वास्तवमें बड़ाही भीषण पशु था । वह जहाँ जाता, वहाँके लोगोंको अत्यन्त दुःखित कर देता। मनुष्योंकी कौन कहे, बड़े-बड़े गाय चैलोंको भी वह अपने सींगोंसे पंककी भॉति उठाकर दूर फेंक देता था। यदि किसीके घरमें वह घुस जाता, तो वहाँसे किसी प्रकार भी निकाले न निकलता और दही दूध या घृतादिकके -जो पात्र सामने पड़ते, उन्हें तोड़ फोड़ कर मिट्टीमें मिला देंता । _____एकदिन अरिष्ट घूमता घामता गोकुलमें जा पहुंचा
और वहॉपर -गोप-गोपियोंके घरमें घुसकर इसी तरहके उत्पात मचाने लगा। उसने किसीके बच्चोंको उठा पटका, किसीके गाय बैलोंको जख्मी कर डाला, किसीका घी दुध मिट्टीमें मिला दिया और किसी की खाद्य सामग्री नष्ट भ्रष्ट कर दी। उसके इन उत्पातोंसे चारों ओर हाहाकार मच गया। गोपियॉ दीन बन गयों ! वे दुःखित होकर राम और कृष्णको पुकारकर कहने लगी :--'हे राम ! हे कृष्ण ! हमें बचाओ! इस आफतसे हमारी रक्षा करो!"