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नेमिनाथ-चरित्र . गोपियोंकी यह करुण पुकार शीघ्र ही राम और कृष्णके कानों में जा पड़ी। वे उसी समय उनकी रक्षाके लिये दौड़ पड़े। परन्तु बूढ़े मनुष्योंने उनको
रोका। वे जानते थे कि अरिष्ट कंसका साँढ़ है। वह बड़ाही भयंकर है। एक तो उसे मारना ही कठिन है और यदि कोई किसी तरह उसे मारेगा भी, तो वह कंसका कोपभाजन हुए विना न रहेगा। इसलिये उन्होंने राम और कृष्णसे कहा :-"जो कुछ होता हो, होने दो! वहाँ जानेकी जरूरत नहीं। हमें धी दूध न चाहिये, गाय बैल न चाहिये, उनकी सव हानि हम बर्दाश्त कर लेंगे, परन्तु हम तुम्हें वहाँ न जाने देंगे। वहाँ जानेसे तुम्हारी खैर नहीं।" , ___ परन्तु राम और कृष्ण ऐसी बातें सुनकर भला क्यों रुकने लगे ? वे शीघ्र ही साँढ़के पास जा पहुँचे । कृष्णने उसे ललकारा। उनकी ललकार सुनते ही रोप पूर्वक अपने सींग और पूंछ उठाकर वह कृष्णकी ओर झपटा। कृष्ण भी तैयार खड़े थे। नजदीक आते ही उन्होंने उसके दोनों सींग पकड़ कर उसकी गर्दन