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बारहवाँ परिच्छेद
कंस-वध
एकदिन देवकीको देखनेके लिये कंस वसुदेवके घर गया। वहाँपर उसने देवकीकी उस कन्याको देखा, जिसकी नासिका छेदकर उसने जीवित छोड़ दिया था। उसे देखकर कंसके हृदयमें कुछ भयका सञ्चार हुआ, इसलिये. घर आने पर उसने एक अच्छे ज्योतिषीको बुलाकर उससे पूछा कि मुनिराजने जो यह कहा था कि "देवकीका सातवाँ गर्भ-तुम्हारा भाञ्जा-तुम्हारी मृत्युका कारण होगा, यह वात झूठ है या सच है ?"
ज्योतिषीने कुछ सोच विचार कर कहा :-"हे राजन् ! मुनिका वचन मिथ्या नहीं हो सकता। देवकीका सातवाँ गर्म, जो तुम्हारी मृत्युका कारण होगा, कहीं न कहीं जीवित अवस्थामें अवश्य विद्यमान होगा। वह कहाँ है, यह जाननेके लिये तुम अपने अरिष्ट नामक