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नेमिनाथ चरित्र
ठीक नहीं। रामको वह नहीं पहचानता, अतः उसे वहाँपर जानेका आदेश दिया जा सकता है।
इस प्रकार विचार कर वसुदेवने कोशला नगरीसे रामसहित रोहिणीको बुलाकर उन्हें शौर्यपुर भेज दिया ।' इसके बाद एक दिन रामको बुलाकर, उनको सब मामला समझा, उन्हें भी नन्द और यशोदा के हाथों में सौंप, पुत्रकी ही भाँति रखनेका अनुरोध किया । नन्द और यशोदाने इसमें कोई आपत्ति न की । उन्होंने. कृष्णकी भाँति रामको भी पुत्ररूपमें अपना लिया ।
राम और कृष्ण - दोनों भाई दस धनुष ऊँचे और देखने में अत्यन्त सुन्दर थे । वे जिधर खेलनेके लिये. निकल जाते, उधरकी ही गोपिकाएं सारा कामकाज' छोड़कर, उनको देखने में लीन हो जाती थीं। कृष्ण जब कुछ बड़े हुए, तब नन्दने उनको शिक्षाके उपकरण देये और वे रामके निकट धनुर्वेद तथा अन्यान्य -लाओं की शिक्षा प्राप्त करने लगे । राम और कृष्ण भी एक दूसरेके भाई, कभी मित्र और कभी गुरु शिष्य ऩते । वे खाते पीते, उठते बैठते, सोते जागते, खेलते.