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दसवाँ परिच्छेद
४४७ विभोर हो गया। उन्होंने उसे अपनी गोदमें लेकर खेलाया, उसका दुलार किया और वारंवार उसे हृदयसे लगाकर अपने प्रेमावेशको शान्त किया। कृष्णको अपनी गोदसे उतारने की उन्हें मानो इच्छा ही न होती थी, परन्तु लाचारी थी, इसलिये वे उसे वहीं छोड़कर अपने वासस्थानको लौट आयीं। परन्तु उस दिनसे पुत्र वियोग सहन करना उनके लिये असम्भव हो पड़ा, इसलिये वे गो-पूजनके बहाने रोज एकवार गोकुल जाने लगी। उसी समयसे गो-पूजनकी प्रथा प्रचलित हुई, जो आजतक इस देशमें सर्वत्र प्रचलित है। ___ परन्तु वसुदेवके शत्रुओंको इससे भला शान्ति कैसे मिल सकती थी ? सूर्पकके शकुनी और पूतना नामक दो पुत्रियाँ थी। वे अपने पिताकी प्रेरणासे उसका बदला लेनेको तैयार हुई। एकदिन कृष्ण एक गाड़ीके पास अकेले खेल रहे थे। संयोगवश उस समय नन्द या यशोदा-दो में से एक भी वहाँ उपस्थित न थे। इसी समय वह दोनों विद्याधरियाँ कृष्णके पास आ पहुंची और कृष्णको मार डालनेका मौका देखने लगीं। कुछ