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नेमिनाथ- चरित्र
करते थे, किन्तु परोक्ष रूपसे अनेक देव-देवियाँ भी उसकी रक्षा के लिये सदा उद्यत रहते थे ।
कृष्णके जन्मको एक मास होने पर देवकीने उसे देखनेके लिये गोकुल जानेकी इच्छा प्रकट की । वसुदेवने कहा :-- "प्रिये ! तुम वहाँ सहर्ष जा सकती हो, किन्तु यदि तुम विना किसी कारणकें अनायास वहाँ जाओगी, तो कंसको सन्देह हो जायेगा । इसलिये हे सुभगे ! वहाँ कोई निमित्त दिखलाकर जाना उचित होगा । मेरी राय तो यह है कि तुम नगरकी अनेक स्त्रियोंको साथ लेकर, गो-पूजन करती हुई गोकुल पहुँच जाओ और गो-पूजनके ही बहाने पुत्रको देखकर वहाँसे तुरंत लौट आओ !"
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वसुदेवकी यह सलाह देवकीको पसन्द आ गयी, इसलिये उन्होंने वैसा ही किया । यशोदाकी गोदमें अपने लालनको – उस लालनको, कि जिसका हृदय श्रीवत्ससे शोभित है, जिसकी कान्ति मरकत रत्नके समान है, जिसके हाथ पैर में चक्रादिके लक्षण हैं, विकसित कमल समान जिसके लोचन हैं, देखकर देवकीका हृदय आनन्द