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दसों परिच्छेद कि उनका पुत्र सकुशल नन्दके घर पहुंच गया और कसके हाथसे अब उसे हानि पहुंचनेकी कोई सम्भावना नहीं है।
कुछ देर बाद उस कन्याने रोदन किया। उसे सुनकर समस्त प्रहरी उठ बैठे। वे उसी समय उस बालिकाको कंसके पास उठा ले गये। कंस उसे देखकर विचारमें पड़ गया। मुनिराजने तो कहा था, कि देवकीके सातवें गर्भसे मेरी मृत्यु होगी, किन्तु यह तो एक बालिका है। यह मेरा नाश करनेमें कैसे समर्थ हो सकती है। मालूम होता है कि मुनिराजने कोरी धमकी ही दी थी। इस बालिकाकी हत्यासे मुझे क्या लाभ होगा? इस प्रकार विचार कर कंसने उस बालिकाकी हत्याका विचार छोड़ दिया और केवल उसकी नासिका काटकर उसे देवकीको वापस दे दिया।
वसुदेवके जो पुत्र उत्पन्न हुआ था और जिसे वे रातोरात नन्दके यहाँ छोड़ आये थे, उसका वर्ण श्याम होनेके कारण उसका नाम कृष्ण पड़ा। यद्यपि प्रत्यक्ष रूपसे नन्द और यशोदा ही उसका लालन-पालन.