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नेमिनाथ-चरित्र यह सुनकर रानी और देवकी उदास हो गयी। देवकीके नेत्रोंमें तो आँसू तक भर आये। रानीने कहा :-"आपको इन्कार न करना चाहिये था। देवकीकी अवस्था विवाह करने योग्य हो चुकी है। उसका वियोग तो किसी न किसी दिन हमें सहना ही होगा। जब आपको घर बैठे वसुदेव जैसा वर 'मिल रहा है, तो इस सुयोगसे आपको अवश्य लाभ उठाना चाहिये।"
देवकने कहा :-मैं तो उपहास कर रहा था। अभी मैंने उसको कोई निश्चयात्मक उत्तर नहीं दिया है। यदि तुम्हें यह सम्बन्ध पसन्द है, तो मैं भी कदापि 'इन्कार न करूंगा।" ___इस प्रकार सबकी राय मिल जाने पर देवकने मन्त्रीको भेज कर कंस और वसुदेवको अपने महल में बुला लिया और शुभ मुहूर्तमें बड़े समारोहके साथ वसुदेवसे देवकीका विवाह कर दिया। देहजमें देवकने बहुतसा सुवर्ण, अनेक रत्न और कोटि गायों सहित दस गोकुलके स्वामी नन्दको प्रदान किया। विवाह कार्य