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नेमिनाथ-चरित्र अवस्था आठ वर्षकी हुई, तब राजाने उसकी शिक्षादीक्षाके लिये कई अध्यापकोंको नियुक्त किया। राजकुमारकी बुद्धि बहुत ही प्रखर थी इसलिये उसने थोड़े ही समयमें समस्त विद्या-कलाओंमें पारदर्शिता प्राप्त कर ली। अन्तमें उसने किशोरावस्था अतिक्रमण कर यौवनावस्था जीवनके वसन्तकालमें पदार्पण किया।
जिन दिनों अचलपुरमें यह सब बातें घटित हो रही थों, उन्हीं दिनों सुसुमपुर नामक नगरम सिंह नामक एक बलवान राजा राज करते थे। उनकी पटरानीका नाम विमला था। वह अपने नामानुसार गुण और रूपमें पूरी विमला ही थी। उसने धनवती नामक एक सुन्दर कन्याको जन्म दिया था। उसका सौन्दर्य रति, प्रीति और रम्भाके रूपको भी मात कर देता था। वह जैसी रूपवती थी, वैसी ही गुणवती भी थी। ऐसी एक भी विद्या या कला न थी, जिसका उसने ज्ञान न प्राप्त किया हो। इन्हीं कारणोंसे उसके मातापिता उसे पुत्रसे भी बढ़कर प्यार करते थे।
इस समय धनवतीकी किशोरावस्था व्यतीत हो रही