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पहला परिच्छेद
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उन्हें सम्मानपूर्वक विदा किया । शीघ्र ही रानीने भी यह समाचार सुना । सुनते ही वे भी आनन्दित हो उठीं। जिस प्रकार पृथ्वी रन-भण्डारको धारण कर उसकी रक्षा करती है, उसी प्रकार उस दिनसे रानी अपने गर्भको धारण कर यत - पूर्वक उसकी रक्षा करने लगीं । यथा समय उन्होंने एक सुन्दर पुत्रको जन्म दिया | जिस प्रकार सूर्योदय होनेपर उसके उज्ज्वल प्रकाशसे दशों दिशायें प्रकाशित हो उठती हैं, उसी प्रकार उस पुत्र रत्नके जन्मसे राजा विक्रमथनका राज-ग्रासाद आलोकित हो उठा । राजाने बड़ी धूमके साथ इस पुत्रका जन्मोत्सव मनाया। सभी इष्ट मित्र और आश्रित जन अॅट तथा पुरस्कार द्वारा इस अवसर पर सम्मानित किये गये । राजाने ज्योतिषियोंके आदेशानुसार अपने इस पुत्रका नाम धन रक्खा ।
धनका लालन-पालन करनेके लिये राजाने अनेक दाई - नौकरों को नियुक्त कर दिये । शुक्ल पक्षमें जिस प्रकार चन्द्रकी कलाएँ बढ़ती हैं, उसी प्रकार उनके यत्तसे राजकुमार बड़ा होने लगा। धीरे-धीरे जब उसकी