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नेमिनाथ चरित्र
प्रकाश दिनकी तरह सब चीजें बहुत साफ दिखायी
देती हैं ।"
राजाने आश्चर्यपूर्वक फिर पूछा :- " क्या दमयन्ती मिल गयी ? उसका पता मिल गया ? वह कहाँ थी ? उसका पता किस प्रकार मिला १"
रानी चन्द्रयशाने राजाको सारा हाल कह सुनाया । सुनकर उन्हें बड़ाही आश्चर्य हुआ। वे भी इस बातसे बहुत दुःखित हुए कि दमयन्ती इतने दिनोंसे उनके महलमें, उन्हींकी छत्र छायामें रहती थी, फिर भी वह पहचानी न जा सकी। इसके बाद उन्होंने दमयन्तीको अपने पास बैठाकर बड़े प्रेमसे उसकी विपत्तिका हाल पूछा । दमयन्तीने सजल नेत्रोंसे अपनी करुण कथा उनको भी कह सुनायी। राजा ऋतुपर्ण उसे सुनकर बहुत दुःखी हुए। उन्होंने अपने रूमालसें दमयन्तीके अश्रु पोंछ कर - नाना प्रकारसे उसे आश्वासन दिया। बेचारी दमयन्ती -अपने हृदयकी वेदनाको हृदयमें ही छिपा कर फिर किसी तरह शान्त हो गयी।
इसी समय आकाशसे एक देव उतर कर राजा
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