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नेमिनायधरित्र
था कि मदनवेगाके व्याहके सम्बन्धमें एक चारण मुनिने पिताजी को बतलाया था कि मदनवेगा का विवाह हरिवंशोत्पन्न वसुदेव कुमारके साथ होगा। वे विद्याकी साधना करते हुए चण्डवेगके कन्धेपर रात्रिके समय गिरेंगे और उनके गिरते ही चण्डवेगकी विद्या सिद्ध हो जायगी। इसलिये पिताजीने उसकी बातपर ध्यान न दिया। किन्तु इससे त्रिशिखर राजा रुष्ट हो गया
और हमारे नगरपर आक्रमण कर हमारे पिताजीको कैद कर ले गया है। अतएव निवेदन है, कि आपने हमारी वहिन मदनवेगाको जो वर देना स्वीकार किया है। उसके अनुसार आप हमारे पिताजीको छुड़ाने में सहायता कीजिये। इससे हमलोग सदाके लिये आपके ऋणी बने रहेंगे।"
इतना कह, दधिमुखने कई दिव्य शस्त्र वसुदेवकेसामने रखते हुए कहा :-"हमारे वंशके मूल पुरुष नमि थे। । उनके पुत्र पुलस्त्य और पुलस्त्यके वंशमें मेघनाद उत्पन्न : हुए। मेघनादपर प्रसन्न हो सुभुम चक्रवर्तीने उन्हें दो । श्रेणियाँ और ब्राह्म तथा आग्नेयादिक शस्त्र प्रदान किये ।