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अब संयोगवश यदि तुम यहाँ आ गये हो, तो उस अश्वको दमनकर कपिलासे विवाह कर लो। यह तुम्हारे ही हितकी बात है।" ___चनमालाके पिताकी यह सलाह वसुदेवने सहर्ष मान ली। उन्होंने उस अश्वका दमन कर कपिलासे विवाह कर लिया। इसके बाद वे अपने श्वसुर और अपने साले अंशुमानके आग्रहसे कुछ दिन वहाँ ठहर गये और उनका आतिथ्य ग्रहण करते रहे। इस बीच कपिलासे उन्हें एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उन्होंने कपिल रक्खा । ___ एकदिन वसुदेवकुमार अपने श्वसुरकी गजशालामें गये । वहाँपर कौतूहल वश वे एक हाथीकी पीठ पर चढ़ बैठे। किन्तु वह हाथी जमीन पर चलनेके बदले उन्हें आकाशमार्गमें ले उडा। उसकी यह कपट-लीला देख वसुदेवने उसे एक मुक्का जमाया । मुक्का लगते ही वह एक सरोवरके तट पर जा गिरा और नीलकंठ नामक विद्याघर वन गया। यह वही विद्याधर था जो नीलयशाके विवाहके समय युद्ध करने आया था। - यहाँसे वसुदेवकुमारं सालगुह नामक नगरमें गये।