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नेमिनाथ-चरित्र पकाया जाय । परन्तु रसोइयेके लिये प्रतिदिन मनुष्यका मॉस लाना संभव न था, इसलिये सोदासने स्वयं इसका भार उठा लिया। वह रोज नगरसे एक बालक मारकर उठा लाता था और रसोइया उसीका मांस उसे पका देता था। परन्तु इससे शीघ्रही नगरमें हाहाकार मच. गया। जब यह बात उसके पिताको मालूम हुई तो उन्होंने उसकी बड़ी फजीहत की और उसे सदाके लिये. अपने देशसे निकाल दिया। उसी दिनसे यह सोदास. यहॉपर चला आया था। और हमेशा किसी न किसीको. मारकर खा जाता था। आज इसके मर जानेसे हमलोग, सदाके लिये निश्चिन्त हो गये। इस कार्यके लिये हमलोग. आपको जितना धन्यवाद दें उतना ही कम है।" ..
वसुदेव यह वृत्तान्त सुनकर परम आनन्दित हुए. और उन समस्त कन्याओंसे उन्होंने सहर्ष व्याह कर लिया। पश्चात् एक रात्रि वहाँपर रहनेके बाद वे दूसरे दिन सुबह अचल नामक गाँव में चले गये। वहॉपर एक सार्थवाहकी मित्रश्री नामक पुत्रीसे उन्होंने ब्याह किया। किसी ज्ञानीने पहलेसे ही उस सार्थवाहको बतलाया था.