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सूत्र नम्बर
२७ सम्यक् ध्यान तपका लक्षण २८ ध्यानके भेद
२६ मोक्षके कारणरूप ध्यान
३०-३१-३२-३३- श्रार्त्तध्यानके भेद
७२
विषय
३४ गुणस्थान अपेक्षा आर्त्तध्यानके स्वामी
३५ रौद्रध्यानके भेद और स्वामी ३६ धर्मध्यानके भेद
३७ शुक्लध्यानके स्वामी
३८ शुक्लध्यानके चार भेदोंमे से बाकी के दो भेद किसके हैं ?
३६ शुक्लध्यानके चार भेद
४० योग अपेक्षा शुक्लध्यानके स्वामी
केवली के मनोयोग सम्बन्धी स्पष्टीकरण
केवली के दो प्रकारका वचनयोग
क्षपक तथा उपशमकके चार मनोयोग तथा वचनयोगका स्पष्टीकरण
४१-४२ शुक्लध्यानके प्रथम दो भेदोंकी विशेषता
४३ वितर्का लक्षण
४४ वीचारका लक्षण
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धन, गुप्ति, समिति, धर्म, अनुप्रेक्षा, परीपहजय, बारह सर तप आदि सम्बन्धी खास ध्यानमें रखने योग्य रटीकरण
४५
२६ निर्मन्य मालुके भेत्र-व्याख्या
पात्र अपेक्षा निर्जरानें होनेवाली न्यूनाविकता
परमार्थ निर्मन्य-व्यवहार निर्मन्य मुनियोंमें विशेषता
यवहार
पत्र संख्या
७१६
७२१
७२१
७२२-२३
७२३
७२४
७२४
७२६
७२७
७२८
७२८
७२६
७२६
७३०-७३१
७३१
७३२
७३२
७३४ से ७३६
७३७
७४०
७४१
७४२ से ४५ ७४५ से ७५०