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अध्याय ५ उपसंहार कार्याणी'-कारण जैसे ही कार्य होनेसे कारण जैसा ही कार्य होता है। कार्यको-क्रिया, कर्म, अवस्था, पर्याय, हालत, दशा, परिणाम, परिणमन और परिणति भी कहते हैं [ यहाँ कारणको उपादान कारण समझना क्योंकि उपादान कारण वही सच्चा कारण है ]
प्रश्न-कारण किसे कहते हैं ? उत्तर-कार्यकी उत्पादक सामग्रीको कारण कहते हैं ? . प्रश्न-उत्पादक सामग्रीके कितने भेद हैं ?
उचर-दो हैं:-उपादान और निमित्त । उपादानको निजशक्ति अथवा निश्चय और निमित्तको परयोग अथवा व्यवहार कहते हैं।
प्रश्न-उपादान कारण किसे कहते हैं ?
उचर-(१) जो द्रव्य स्वयं कार्यरूप परिणमित हो, उसे उपादान कारण कहते हैं । जैसे-घटकी उत्पत्तिमें मिट्टी। (२) अनादिकालसे द्रव्यमें जो पर्यायोंका प्रवाह चला आ रहा है, उसमें अनन्तर पूर्वक्षणवति पर्याय उपादान कारण है और अनन्तर उत्तर क्षणत्ति पर्याय कार्य है । (३) उस समयकी पर्यायकी योग्यता वह उपादान कारण है और वह पर्याय कार्य है । उपादान वही सच्चा (-वास्तविक ) कारण है।
[ नं. १ ध्रुव उपादान द्रव्याथिकनयसे है, नं० २-३ क्षणिकउपादान पर्यायाथिकनयसे है। ]
प्रश्न-योग्यता किसे कहते हैं ?
उत्तर-(१) "योग्यतैव विषयप्रतिनियमकारणमिति" (न्याय दि. पृ० २७ ) योग्यता ही विषयका प्रतिनियामक कारण है [ यह कथन ज्ञान की योग्यता (-सामर्थ्य ) के लिये है परन्तु योग्यताका कारणपना सर्वमें सर्वत्र समान है ]
(२) सामर्थ्य, शक्ति, पात्रता, लियाकत, ताकत वे 'योग्यता' शब्द के अर्थ है।
प्रश्न-निमित्त कारण किसे कहते हैं ?