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________________ ४७६ मोक्षशास्त्र होता है । यदि द्रव्य हो तो उसका नाश नहीं होता, जो द्रव्य नही वह उत्पन्न नहीं होता और जो द्रव्य होता है वह स्वशक्तिसे प्रतिक्षण अपनी अवस्था बदलता ही रहता है, ऐसा नियम है । इस सिद्धांतको उत्पादव्यय-ध्रुव अर्थात् नित्य रहकर बदलना कहा जाता है । द्रव्य कोई बनानेवाला नहीं है इसलिये सातवां कोई नया द्रव्य नहीं हो सकता, और किसी द्रव्यका कोई नाश करनेवाला नहीं हैं इसलिये छह द्रव्योंसे कभी कमी नहीं होती । शाश्वतरूपसे छह हीं द्रव्य हैं । सर्वज्ञ भगवानने, संपूर्ण ज्ञानके द्वारा छह द्रव्य जाने और वही उपदेशमें दिव्यध्वनि द्वारा निरूपित किये । सर्वज्ञ वीतराग देव प्रणीत परम सत्यमार्गके अतिरिक्त इन छह द्रव्योंका यथार्थं स्वरूप अन्यंत्र कहीं है ही नहीं । द्रव्यकी शक्ति ( गुण ). द्रव्यकी विशिष्ट शक्ति ( चिह्न, विशेष गुण ) पहले सक्षिप्तरूपमें कही जा चुकी है, एक द्रव्यकी जो विशिष्ट शक्ति है वह अन्य द्रव्यमें नही होती । इसीलिये विशिष्ट शक्तिके द्वारा द्रव्यको पहचाना जा सकता है । जैसे कि ज्ञान जीव द्रव्यकी विशिष्ट शक्ति है । जीवके अतिरिक्त अन्य किसी द्रव्यमें ज्ञान नहीं है, इसीलिए ज्ञान शक्तिके द्वारा जीव पहचाना जा सकता है । यहां अब द्रव्योंकी सामान्य शक्ति संबंधी कुछ कथन किया जाता है. 1. जो शक्ति सभी द्रव्योंमें हो उसे सामान्य शक्ति कहते हैं । मस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व, अगुरुलघुत्व. भोर प्रदेशत्व: ये मुख्य- सामान्य ६ गुण हैं, ये सभी द्रव्योंमें हैं। 77 - - - १ - अस्तित्वगुण के कारण द्रव्यके प्रस्तिरूपका कभी नाश नही होता । ऐसा नही है कि द्रव्य अमुक कालके लिये है और फिर नष्ट हो जाता है; द्रव्य: नित्य कायम रहनेवाले हैं । यदि अस्तित्व- गुण न हो तो वस्तु ही नहीं हो सकती और वस्तु ही न हो तो समझाना किसको । J २-- वस्तुत्व गुणके कारण द्रव्य अपना प्रयोजनभूत कार्य करता है । जैसे :- घढ़ा पानीको धारण करता है उसी तरह द्रव्य स्वयं ही अपने
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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