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मोक्षशास्त्र
(३) किन्तु उसी समय रक्त ज्यादा ( निकलने लगा, और कई उपाय किये, किन्तु उसके बन्द होने में बहुत समय लगा ।
(४) रक्त बन्द होने के बाद हमें जल्दी आराम हो जाय ऐसी उस मनुष्य ने निरन्तर भावना करना जारी रखी।
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(५) किन्तु भावना के अनुसार परिणाम निकलनेके बदले में वह
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भाग सड़ता गया ।
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(६) उस मनुष्यको शरीरमें ममुत्वके कारण बहुत दुःख हुआ और उसे उस दुःखका अनुभव भी हुआ ।
(७) दूसरे सगे सम्बन्धियोंने यह ज्ञाना कि उस मनुष्यको दुःख होता है, किन्तु वे उस मनुष्यके दुःख के अनुभवका कुछ भी अंश न ले सके ।
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(८) अंतमें उसने हाथके सड़े हुए भागको कटवाया ।
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(e) वह हाथ कटा तथापि उस मनुष्यका ज्ञान उतना ही रहा और विशेष अभ्याससे ज्यादा बढ़ गया और बाकी रहा. हुआ शरीर बहुत कमजोर होता गया तथा वजनमे भी घटता गया ।
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(१०) शरीर कमजोर हुआ तथापि उसके ज्ञानाभ्यास के बलसे धैर्य रहा और शांति बढ़ी ।
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५—हमे यह जानना चाहिये कि ये दश बातें क्या सिद्ध करती है | मनुष्यमें विचार शक्ति ( Reasoning Faculty ) है और वह तो प्रत्येक मनुष्यके अनुभवगम्य है । अब विचार करने पर निम्न सिद्धांत प्रगट होते हैं:
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(१) शरीर और ज्ञान धारण करनेवाली वस्तु ये दोनों पृथक २ पदार्थ है, क्योंकि उस ज्ञान धारण करनेवाली वस्तुने' 'खून तत्क्षरंग ही बंद हो जाय तो ठीक हो' ऐसी इच्छा की तथापि खून बंद नही हुआ; इतना ही नही किन्तु इच्छासे विरुद्ध शरीरकी और खूनकी अवस्था हुई'। यदि शरीर और ज्ञान धारण करनेवाली वस्तु ये दोनों एक ही हों तो ऐसा न हो । (२) यदि वह दोनों वस्तुयें एक ही होती तो जब ज्ञान करने