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विषय
सम्यग्दृष्टि जीव अपनेको सम्यक्त्व प्रगट होने की बात श्रुतज्ञान
द्वारा वराबर जानते हैं ।
स० द० सम्बन्धी कुछ प्रश्नोत्तर
ज्ञान चेतना के विधानमें अन्तर क्यों है ?
ज्ञान चेतना सम्बन्धमं विचारणीय नव विपय अक्रमिक विकास और क्रमिकविकासका दृष्टान्त इस विषय के प्रश्नोत्तर और विस्तार सम्यग्दर्शन और ज्ञान चेतना में अन्तर
चारित्र न पले फिर भी उसकी श्रद्धा करनी चाहिये निश्चय सम्यग्दर्शनका दूसरा अर्थ
प्रथम अध्यायका परिशिष्ट - २
सूत्र नम्बर
निश्चय सम्यग्दर्शन -
निश्चय सम्यग्दर्शन क्या है और उसे किसका अवलम्बन भेद-विकल्पसे स० द० नहीं होता
विकल्प से स्वरूपानुभव नहीं हो सकता
सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञानका सम्बन्ध किसके साथ
श्रद्धा-ज्ञान सम्यकू कव हुए
सम्यग्दर्शनका विषय, मोक्षका परमार्थ कारण
सम्यग्दर्शन ही शान्तिका उपाय है सम्यग्दर्शन ही संसारका
नाशक है
प्रथम अध्यायका परिशिष्ट-३
जिज्ञासुको धर्म किस प्रकार करना
पात्र जीवका लक्षण
श्रुतज्ञानका वास्तविक लक्षण - अनेकान्त भगवान भी दूसरेका कुछ नहीं कर सके
पत्र संख्या
सम्यग्दर्शन के उपायके लिये ज्ञानियोंके द्वारा बताई गई क्रिया श्रुतज्ञान किसे कहना
१३४-४०
१४०-४२
१४३-१५०
१४३
१४५
१४७
१५४
१५४
१५५
१५७
१५७-१६३
१५७
१५८
१५६
१६०
१६१
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१६२ - १६३
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