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विषय
पत्र संख्या सूत्र नम्बर
नयोंके सक्षेप स्वरूप, जैन नीति तथा नयोंकी सुलझन ११५-११८ प्रथम अध्यायका परिशिष्ट-१
११६ सम्यग्दर्शनके सम्बन्धमें कुछ ज्ञातव्य
११६ सम्यग्दर्शनकी आवश्यकता, स० द० क्या है
१२० श्रद्धा गुणकी मुख्यतासे निश्चय सम्यग्दर्शन ज्ञान गुणकी मुख्यतासे निश्चय सम्यग्दर्शन चारित्र गुणकी मुख्यतासे निश्चय सम्यग्दर्शन
१२३ अनेकान्त स्वरूप सम्यग्दर्शन सभी सम्यग्दृष्टियोंके एक समान
१२४ सम्यग्ज्ञान सभी - सम्यक्त्वकी अपेक्षासे समान है अवस्थामें विकासका कम, बढ़ होना वगैरह अपेक्षासे समान नहीं है
१२४ सम्यक चारित्रमें भी अनेकान्त
१२४ दर्शन (श्रद्धा) ज्ञान, चारित्र इन तीनों गुणोंकी अभेद दृष्टिसे निश्चय सम्यग्दर्शनकी व्याख्या
१२५ निश्चय सम्यग्दर्शनका चारित्रके भेदोकी अपेक्षासे कथन १२५ निश्चय सम्यग्दर्शनके बारेमें प्रश्नोत्तर
१२५ व्यवहार सम्यग्दर्शनकी व्याख्या
१२६ व्यवहाराभास सम्यग्दर्शनको कभी व्यवहार सम्यग्दशन भी __ कहते हैं।
१२७ सम्यग्दर्शनके प्रगट करनेका उपाय
१२८ निर्विकल्प अनुभवका प्रारम्भ
१३० सम्यग्दर्शन पर्याय है तो भी उसे गुण कैसे कहते हैं सभी सम्यग्दृष्टियोंका स० द. समान है
१३१ सम्यग्दर्शनके भेद क्यों कहे गये हैं ?
१३१ सम्यग्दर्शनकी निर्मलता
१३२ सम्यक्त्व निर्मलतामें पॉच भेद किस अपेक्षासे
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