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________________ मध्याय ५ सूत्र २८-२९ ४२५ ( देखो राजवातिक सूत्र २८ की टीका, पृष्ठ ३६१, अर्थ प्रकाशिका पृष्ठ २१०) (2) Marsh-gas treated with chlorine gives Methyl Chloride and Hydrochloric acid the formula is: CH 4 + cl2=3DCH3 cl + H + cl. अर्थ-सड़े पानीमें उत्पन्न गैसको 'मार्श गैस' कहते हैं । उसकी गंध नही आती, रंग भी मालूम नही होता, किन्तु वह जल सकता है। उसे एक क्लोरीन नामक गैस जो हरिताभ पीले रंगका है उसके साथ मिलाने पर वह नेत्र इन्द्रियसे दिखाई देनेवाला एक तीसरा एसिड पदार्थ होता है, उसे मैथील क्लोराइड हाइड्रोक्लोरिक एसिड कहते हैं। (इंग्लिश तत्त्वार्थसूत्रके इस सूत्रके नीचेकी टीका ) (३) ओक्सीजन और हाइड्रोजन दो वायु है, दोनों नेत्र इन्द्रियसे अगोचर स्कंध हैं। दोनोंके मिलाप होनेपर नेत्र इन्द्रिय गोचर जल हो जाता है । इसलिये नेत्रइन्द्रियगोचर स्कंध होनेके लिए जिसमे मिलाप हो वह नेत्रइन्द्रियगोचर होना ही चाहिये ऐसा नियम नही है और सूत्र में भी नेत्रइन्द्रियगोचर स्कंध चाहिए ही ऐसा कथन नहीं है। सूत्र में सामान्य कथन है ।। २८ ॥ इसतरह छहों द्रव्योंके विशेष लक्षणोंका कथन किया जा चुका । अव द्रव्योंका सामान्य लक्षण कहते हैं सद्व्य लक्षणम् ॥ २६ ॥ अर्थ:-[ ब्रव्यलक्षणम् ] द्रव्यका लक्षण [ सत् ] सत् ( अस्ति टीका (१) वस्तु स्वरूपके बतलानेवाले ५ महासूत्र इस अध्यायमें दिए गए हैं । वे २९-३०-३२-३८ और ४२ वें सूत्र हैं। उनमें भी यह सूत्र मूलनीवरूप है, क्योकि किसी भी वस्तुके विचार करनेके लिए सबसे पहले यह ४५
SR No.010422
Book TitleMoksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRam Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages893
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size35 MB
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