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मोक्षशास्त्र लाते हुए अणु और स्कंध ये दो भेद बताए; तब प्रश्न यह उठता है कि स्कंधोंकी उत्पत्ति किस तरह होती है ? उसके स्पष्टरूपसे तीन कारण बतलाए है । सूत्र में द्विवचनका प्रयोग न करते हुए बहुवचन ( संघातेभ्यः) प्रयोग किया है, इससे भेद-संघातका तीसरा प्रकार व्यक्त होता है ।
(२) दृष्टान्त-१०० परमाणुओंका स्कंध है, उसमेंसे दस परमाणु अलग हो जानेसे ६० परमाणुओंका स्कंध बना; यह भेदका दृष्टान्त है। उसमें ( सौ परमाणुके स्कंधमें ) दस परमाणुमोंके मिलनेसे एक सौ दस परमाणुओका स्कंध हुआ; यह सघातका दृष्टान्त है। उसीमें ही एक साथ दस परमाणुओंके अलग होने और पन्द्रह परमाणुओंके मिल जानेसे एक सौ पांच परमाणुओंका स्कंध हुआ, यह भेद संघातका उदाहरण है।।२६॥ __ अब अणुकी उत्पचिका कारण बतलाते हैं
भेदादणुः ॥२७॥ अर्थ-[अणुः] अणुकी उत्पत्ति [भेदात्] भेदसे होती है ॥२७॥ दिखाई देने योग्य स्थूल स्कन्धकी उत्पचिका कारण बतलाते हैं
भेदसंघाताभ्यां चाक्षुषः ॥२८॥ अर्थ-[चाक्षुषः] चक्षुइन्द्रियसे देखनेयोग्य स्कंध[भेदसंघाताभ्याम्] भेद और संघात दोनोंके एकत्र रूप होनेसे उत्पन्न होता है, अकेले भेद से नहीं।
टीका (१) प्रश्न-जो चक्षुइन्द्रियके गोचर न हो ऐसा स्कंध चक्षुगोचर कैसे होता है ?
उचर-जिस समय सूक्ष्म स्कंधका भेद हो उसी समय चक्षुइंद्रियगोचर स्कंधमें वह संघातरूप हो तो वह चक्षुगोचर हो जाता है। सूत्रमें "चाक्षुषः' शब्दका प्रयोग किया है, उसका अर्थ चक्षु इंद्रियगोचर होता है। चक्षुइंद्रियगोचर स्कंव अकेले भेदसे या अकेले सघातसे नहीं होता।