________________
४०१
अध्याय ५ सूत्र ११ (४) मूर्तिक द्रव्यके सूक्ष्म और बादर इसतरह दो भेद हैं ।
(५) सूक्ष्म मूर्तिक द्रव्य दो तरहका है एक सूक्ष्मसूक्ष्म और दूसरा सूक्ष्म ।
(६) स्कंध, सूक्ष्म और बादरके भेदसे दो प्रकारका है। (७) सूक्ष्म अणु दो तरहके हैं-१-पुद्गल अणु और २-कालाणु
(८) अक्रिय (गमनागमनसे रहित चार द्रव्य) और सक्रिय (गमनागमन सहित जीव और पुद्गल) के भेदसे द्रव्य दो तरहके है ।
() द्रव्य दो तरहके है-१-एक प्रदेशी और २-बहुप्रदेशी।
(१०) बहुप्रदेशी द्रव्य दो भेदरूप हैं संख्यात प्रदेशवाला और संख्यासे पर प्रदेशवाला।
(११) सख्यातीत बहुप्रदेशी द्रव्य दो भेदरूप है, असंख्यात प्रदेशी और अनन्त प्रदेशी।
(१२) अनन्त प्रदेशी द्रव्य दो तरहका है ?-अखंड आकाश और २-अनन्त प्रदेशी पुद्गल स्कंध ।
(१३) लोकके असख्यात प्रदेशोंको रोकनेवाले द्रव्य दो तरह के है -अखण्ड द्रव्य (धर्म, अधर्म तथा केवल समुद्घात करनेवाला जीव ) और पुद्गल महा स्कन्ध यह संयोगी द्रव्य है।
(१४) अखण्ड लोक प्रमाण असख्यात प्रदेशी द्रव्य दो प्रकारका है, १-धर्म तथा अधर्म ( लोक व्यापक ) और २-जोव ( लोक-प्रमाण ) सख्यासे असख्यात प्रदेशी और विस्तारमे शरीरके प्रमाणसे व्यापक है।
(१५) अमूर्त बहुप्रदेशी द्रव्य दो भेदरूप है-संकोच-विस्तार रहित (आकाश, धर्मद्रव्य अधर्मद्रव्य तथा सिद्ध जीव) और संकोच विस्तार सहित (संसारी जीवके प्रदेश सकोच-विस्तार सहित हैं )
[ सिद्ध जीव चरमशरीरसे किंचित् न्यून होते हैं ]
(१६) द्रव्य दो तरहके हैं-सर्वगत ( आकाश ) और देशगत ( अवशिष्ट पाँच द्रव्य )